दो विपरीत स्वभाव के ग्रहों का आपस में साथ होना भले ही मगंल कितना भी ठीक हो वो अपना स्वभाव यानि मंगलतत्व में परिवर्तन होने से नही रोक सकता, वैसे कहते है कि मंगल के साथ मे सूर्य,राहू,शनि बैठ जाये तो मंगल दोष भंग हो जाता है परन्तु अगर सूर्य+ राहू या सूर्य+शनि या शनि+राहू जब मंगल के साथ हो तो मंगल दोष से बरूना नही होगा उस जातक को शुभाशुभ दोनों तरह के फल एक ही समय में मिलेंगे यानि खुशी व गमी, रही बात मंगल दोष की तो मंगल के स्वभाव में और गर्मी बढाने वाले ग्रह ही मंगल दोष के लिये खास तौर पर जिम्मेदार होगे , मेरा अनुभव हा कि सूर्य जो कि दिन के समय में बनने वाले भोजन व राहू शाम के समय में बनने वाले भोजन तथा शनि रात के समय में शनि की अशुभ घटनाओं से बचने के लिये घर मे जलाये दीपक आदि से मंगल दोष या मंगल बद की घटनाओं से बचने के लिये है ये लेख पूज्यनीय गुरुदेवजी को मन व मस्तिष्क में रख के लिखा गया है जो कि निजी अनुभव के आधार पर ग्रहों की समीक्षा करने री चेष्टा मात्र ||लाल किताब के अनुसार मंगल तीसरे-चौथे और आठवें भाव में बैठा हो तो मांगलिक दोष होता है या मंगल बद होता है
तीसरे, चौथे या आठवें भाव में मंगल के साथ उसके मित्र ग्रह बृहस्पति, सूरज या चंद्र बैठ जाए तो मंगल दोष भंग हो जाता है। +919928377061
तीसरे, चौथे या आठवें भाव में मंगल के साथ उसके मित्र ग्रह बृहस्पति, सूरज या चंद्र बैठ जाए तो मंगल दोष भंग हो जाता है। +919928377061
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